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हृदय रोग में गुलाब के फूलों के चूर्ण में मिश्री मिलाकर गाय के दूध के साथ सेवन करने से हृदय विकार नष्ट होते हैं। सफेद चंदन, शुद्ध कस्तूरी को गुलाब के अर्क में मिलाकर नाक में बूंद-बूंद डालने से हृदय शूल नष्ट होता है। गुलाब के रस को कान में बूंद-बूंद डालने से कर्णशूल तुरन्त नष्ट होता है। गुलाब के अर्क में चंदन का तेल मिलाकर मालिश करने से शीतपित्त नष्ट होता है। गुलाब के अर्क में श्वेत चंदन और कुछ कपूर पीस कर माथे पर लेप करने से सिर का दर्द नष्ट हो जाता है गुलाब जल में चंदन मिलाकर लेप करने से दाह नष्ट होता है। गुलाब के फूलों को पीसकर योनि में रखने से गर्भाशय शूल नष्ट होता हैं। इससे प्रदर रोग में भी लाभ होता है और योनि में संकोचन भी करता है। गुलाब के फूलों के बीजों को प्रतिदिन खाने से दांत और मसूड़े स्वस्थ रहते हैं, दांतों से खून आना बंद हो जाता है। गुलाब के अर्क में शुद्ध रसौत, फिटकरी का फूल, सेन्धा नमक और मिश्री को समान मात्रा में मिलाकर, बारीक वस्त्र में छानकर, बूंद-बूंद नेत्रों में डालने से नेत्र रोगों में बहुत लाभ होता है गुलाब जल में श्वेत चंदन और बादाम की गिरी पीस कर चेहरे पर लेप . करने से चेहरे की सुंदरता विकसित होती है। गुलाब के इत्र में कपूर मिलाकर शिश्न पर लेप करने के एक घंटे बाद सहवास करने शीघ्रपतन की बीमारी नष्ट होती है। गुलाब के फूल, लौंग, अकरका और शीतल चीनी कूट पीस कर चूर्ण बनाकर गुलाब जल के साथ गोलियां बनाकर चूसने से मुंह की दुर्गन्ध नष्ट होती है। गुलाब के फूलों के चूर्ण में मिश्री मिलाकर गाय के दूध से सेवन करने पर प्रदर रोग के साथ पेशाब में जलन भी नष्ट हो जाती है उष्ण जल में गुलाब के सूखे फूल डालकर 10-15 मिनट तक ढक कर रखें। फिर छानकर मधू के साथ सेवन करने से कब्ज नष्ट होती है और यह प्रौढ़ स्त्री-पुरूषों के लिए शक्तिदायक भी है। गुलाब के जल में इलायची, गुलाब के फूल और धनिया पीसकर सेवन करने से अम्लपित की विकृति दूर होती है।