पीठ दर्द यानी लम्बैगो और एक्यूपंक्चर
पीठ दर्द की समस्या देश में ही नहीं बल्कि विश्वभर के लोगों की एक ऐसी समस्या है जिससे लाखों लोग जूझते हैं।
इनमें से हज़ारों एलोपैथी, होम्योपैथी, योग, अल्टासाउन्ड, रेडिएयान थैरेपी और लाखों लोग देसी दवाओं का सहारा लेते हैं। इनमें से भी जो सबसे अधिक परेशान होती हैं वे हैं महिलाएं, क्योंकि वे अकसर काफी लंबे समय तक रोग को
या तो छिपाती रहती हैं या फिर दर्द निवारक दवाएं खाकर डॉक्टर के पास जाना टालती रहती हैं। यही कारण है कि पीठ दर्द उनके लिए कभी कभी इतना गंभीर रूप लेता है कि उन्हें अस्पताल में भर्ती कराने की नौबत तक आ जाती है।
या फिर लंबे समय तक दर्द निवारक दवाएं खाने से वे अलसर या गैस्टराइटिस की शिकार हो जाती हैं या फिर उनका लिवर, प्रभावित हो जाता है और वे नई परेशानी में फंस जाती हैं।
पीठ दर्द और एक्यूपंक्चर
एक्यूपंक्चर एक ऐसी चिकित्सा पद्धति है जिससे पीठ दर्द का कारगर उपचार संभव हो सकता है। हाल ही के एक
अध्ययन से यह सिद्ध हो गया है कि एक्यूपंक्चर से जटिल से जटिल पीठ दर्द का उपचार किया जा सकता है।
पीठ दर्द और आयुर्वेद
लम्बैगो यानी पीठ का दर्द एक ऐसा रोग है जिससे हर 5 में से तीसरा व्यक्ति इससे जीवन के किसी न किसी मोड़ पर ज़रूर पीड़ित होता है और महिलाओं में तो इसकी प्रतिशत और भी अधिक है। लम्बैगो से कैसे बच सकते हैं हम ?
ठीक प्रकार से बैठना लम्बैगो से बचाव का एक सबसे बड़ा उपाय है। इसके अलावा हल्का नियमित व्यायाम, भारी सामान उठाते समय झटके से बचना या फिर अपने शरीर की क्षमता से अधिक वज़न उठाने जैसी स्थितियों से बचना।
आयुर्वेद के अनुसार क्या हैं लम्बेगो का कारण
आयुर्वेद के अनुसार पेट की अग्नि की स्थिति असंतुलित हो हल्की पड़ने के कारण यह समस्या उत्पन्न होती है। इसके मंद पड़ने से शरीर में अम्ल या आंव इकटठी होने लगती है।
उपचार: शरीर में अम्ल को काबू में करने के लिए शरीर के पाचन तंत्र को आराम देने की आवश्यकता होती है, इसलिए ऐसे में व्रत एक उपचार होता है।
पीठ दर्द और आयुर्वेदिक जड़ी बूटियां
हमारे रसोईघर में ही कुछ ऐसे देसी मसाले और जड़ी बूटियां होती हैं जो पीठ के इस दर्द में लाभकारी होते हैं। जैसे लाल मिर्च,सौंठ, दालचीनी, तिल और सरसों का तेल आदि।
पीठ के दर्द में केवल कमर की ही मालिश करने की ज़रूरत नहीं बल्कि पूरे शरीर की मालिश की ज़रूरत होती है। यदि संभव हो तो गर्म पानी में कोई मोटा कपड़ा भिगो कर उससे भी हल्का हल्का सेंक किया जा सकता है।
लम्बेगो क्या हैं
कमर के निचले हिस्से में होने वाला दर्द लम्बैगो कहलाता है, जो कम से कम तीन महीनों या फिर इससे भी अधिक समय चल रहा हो, फिर चाहे वह हल्का हो या तेज़। लम्बैगो केवल प्रौढों का ही रोग नहीं बल्कि उन युवाओं को भी सताता है जो लंबे समय तक बैठे रहते हैं। यदि कोई उम्र दराज़ या बड़ी उम्र का व्यक्ति हो तो यह समस्या और जटिल हो जाती है।
लम्बेगो क्यों होता हैं
अधिकतर मामलों में पीठ दर्द का कारण पता ही नहीं लग पाता। केवल 25 प्रतिशत मामलों में ही कारण जानने के
बाद पीठ दर्द का उपचार किया जाता है। कई मामलों में कमर के निचले हिस्से में दर्द का कारण स्लिप डिस्क, टयूमर या ऑस्टियोपोरोसिस होता है, जिसमें हडिडयां एकदम भुरभुरी हो जाती हैं।
लम्बेगो के लक्षण
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पीठ यानी कमर के निचले हिस्से में दर्द होना, जो कभी कभी पुटठों, जांघों या ग्रोइन तक भी जाता है। यह दर्द हिलने डुलने से और अधिक बढ जाता है।
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रीढ की हडडी को हिलाने डुलाने में दर्द होना, जैसे आगे या पीछे झुकते हुए।
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मांसपेशियों में अकड़न तथा कमर का अकड़ जाना।
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कभी कभी कमर में दाईं या बाईं ओर केपल एक ओर ही तेज़ दर्द के साथ ही शरीर का एक ओर झुक जाना।
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कई बार तो दर्द के साथ ही कमर, पुटठों और टांगों का सुन्न पड़ जाना।
लम्बेगो के खतरे के लक्षण
यदि कभी आपको महसूस हो कि आप मूत्र या मल त्याग की क्रिया पर आपका नियंत्रण खो रहा है या आपकी कमर
का निचला हिस्सा या टांगे सुन्न पड़ती महसूस हो रही हों, तो आपातस्थिति समझ कर बिना समय गंवाए तुरंत क्टर
से संपर्क करें।
यदि पीठ में दर्द के साथ ही कभी लगने लगे कि उनकी टांगों या कमर में मांसपेशियां कुछ कमज़ोर पड़ती नज़र आ
रही हैं।ये कुछ ऐसे संकेत होते हैं जिन्हें कभी हल्के नहीं लेना चाहिए और न ही इन्हें नज़रअंदाज़ करना चाहिए। तनेजा का कहना है कि एक्यूपंक्चर से लम्बैगो का सफल उपचार रोगी को दर्द से तुरंत ही नहीं स्थाई राहत भी दिलाता है।
पीठ दर्द और योग
योग शरीर में उत्पन्न असंतुलन या गड़बड़ी को समाप्त करने का एक बेहद कारगर और आसान उपचार है। पीठ में दर्द यानी लम्बैगो में भी योग एक कारगर विकल्प है। योग न केवल आपकी पीठ बल्कि आपके पूरे शरीर को तनाव
मुक्त करेगा। यदि अकेले संभव न हो तो किसी योग शिविर में जाएं या फिर किसी योग विशेषज्ञ की मदद लें।यदि कुछ भी संभव न हो रहा हो तो केवल कमर पर दोनों हाथ रखकर पीछे आगे की ओर झुकें और फिर इसी प्रकार पीछे। ध्यान रखें कि शुरू में न तो आगे की ओर झुकने के लिए जबरन शरीर पर कोई ज़ोर डालें और न ही पीछे की ओर झुकने के लिए। जितना आराम से हो उतना ही करें। याद रखें कि आपको पीठ दर्द केवल ठीक प्रकार से न बैठने के
कारण ही नहीं बल्कि गर्भावस्था, अर्थराइटिस, फाइब्रॉसिस, खेल के मैदान में या फिर सड़क आदि पर गिरने से चोट लगने से, मोटापे के कारण, यूरिनरी इन्फैक्शन, साइटिका या फिर स्लिप डिस्क जैसे किसी कारण से भी हो सकता है। यदि पीठ दर्द लगातार बना रहे तो किसी चिकित्सा विशेषज्ञ से संपर्क अवश्य करें।
याद रखे
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जितना आसानी से चल सकें, चलें। न नर्म कुर्सी पर न बैठें और पीठ को जहां तक संभव हो सीधा रखें।
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पीठ में दर्द के साथ ही अगर पैरों में सूजन भी हो तो ठंडे सेंक से सूजन को कम किया जा सकता है।
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तैरना भी पीठ दर्द में अपने आप में एक संपूर्ण व्यायाम होता है।
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कच्चे आलू की पुल्टिस बनाकर भी पीठ पर लगाई जा सकती है।
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कब्ज़ का संबंध पीठ दर्द से है। इसलिए पीठ दर्द हो तो ध्यान रखें कि पेट साफ रहे। यदि कब्ज़ हो तो अनीमा या ईसबगोल की भूसी गर्म दूध या पानी से लें।