मेलेनिन को नेचुरली कैसे काम करे
सबसे पहले यह जानना जरूरी है कि मेलेनिन है क्या?
यह शरीर में मौजूद एक नेचुरल प्रोडक्ट है जिसका निर्माण शरीर में मेलैनोसाइटस नामक सेल्स करती हैं। मेलेनिन सूर्य की यू.वी.रेंस से बचाता है। मेलेनिन से ही त्वचा, आंखों की पुतली, बालों आदि के रंग का निर्धारण होता है। मेलेनिन की मात्रा जितनी ज्यादा होती है उतना ही त्वचा का रंग काला होता है। कम होने से स्निक गौरी होती है।
मेलेनिन की कमी से विटिलिगो,एल्बीनिज्म नामक रोग हो जाते हैं।
मेलेनिन सूर्य की किरणों से शरीर का बचाव सनस्क्रीन की तरह करता है किन्तु यदि लगातार तेजधूप में ज्यादा समय रहते हैं तो मेलेनोसाइटस उत्तेजित होकर ज्यादा मेलेनिन का निर्माण करने लग जाती है जिससे गहरे धब्बे तेजी से उभर कर त्वचा पर जगह-जगह धब्बे (काले) कर देते हैं। पिग्मेंटेशन से त्वचा बदरंग दिखाई देने लगती है।
मेलेनिन को कम कैसे करें :-
आज बाजार में तरह तरह की गोरे होने की क्रीमें व लोशंस बहुत ही महंगे-महेंगे बिकते हैं और नासमझ लोग अंधाधुंध उनका प्रयोग करते हैं। उनमें मौजूदा केमिकल्स शुरू में स्किन कलर को हल्का दिखादेते है किन्तु लगातार प्रयोग करने से स्किन का ऊपरी स्तर जल जाता है, डैमेज हो जाता है और नतीजे बड़े घातक होते हैं।
सबसे पहले तो यह जान लें कि आपकी स्किन का जो बेसिक कलर है वो चेंज नहीं हो सकता। बेसिक स्किन डीएनए जींस से जुड़े होने से इसके कलर को चेंज नहीं किया जा सकता। लेकिन धूप में जाने पर भी मेलेनिन के जमाव को कम किया जा सके इसके लिए कई प्रकार के प्राकृतिक (नेचुरल्स) प्रोडक्ट होते हैं जिनका प्रयोग त्वचा को सुकुमार, कोमल व लचीला बना देता है और मेलेनिन को बढ़ने से रोकने का कार्य करता है। स्किन को प्रोटेक्ट करता है बिना कोई साइड इफेक्ट के, इसीलिये आयुर्वेद में वर्ण निखार के लिये कई प्रकार के प्रयोग बताये गये हैं। जो त्वचा में स्थित कोलेजन को बढ़ाकर एंटी एजिंग का भी कार्य करते हैं।
मेलेनिन क्यों बढ़ जाता है :-
धूप के अलावा भी कुछ ऐसे कारण है जिनसे मेलेनिन बढ़नेलगता हैं।
- हार्मोनल लेवल में चेंजेज होना।
- सूर्य के साथ त्वचा का अतिरिक्त संपर्क होना।
- कुछ प्रकार की स्किन डिज़ीज होना।
- एडिशनल ग्लैण्ड (अधिवृवक ग्रंथि) के विकार।
- कुछ विटामिन्स व न्युट्रीएंट्स का अभाव होना।
प्राकृतिक स्रोत :-
नेचुरली प्रकृति में कुछ ऐसे तत्व हैं जो हमारी स्किन की रंगत को सुधार देते हैं जैसे :-
एलोवेरा - इसे ताजा लेकर भी प्रयोग कर सकते हैं और जेल के रूप में जो मार्केट में उपलब्ध है वह भी ले सकते हैं। रोजाना लगाने से त्वचा में नमी बनाये रखता है। एंटी आक्सीडेंट, विटामिन्स व मिनरल्स होने से स्किन को नरेश
(पोषण) करता है। पिग्मेंट के एक्स्ट्रा जमाव को कम करता है।
आलू - इसमें केटेकोलाज एंजाम्स दाग धब्बे व डार्क होने को रोकता है। कच्चे आलू का पल्प या रस उपयोगी है।
नींबू - विटामिन्स त्वचा के रंग को हल्का करता है। किसी भी पैक में कुछ बूंदे नींबू रस की मिला लें।
टमाटर - विटामिन सी होने से एक्स्ट्रा पिग्मेंटेशन साफ करके स्किन लाइटिनिंग का काम करता है।
हल्दी - टर्मरिक में मौजूद एंटी आॅक्सीडेंट स्किन की रंगत में निखार लाते हैं। भारत में हिन्दुओं में
विवाह से पूर्व हल्दी का उबटन इसी बात की ओर संकेत करता है।
संतरे के छिलके - आॅरेंज पील मास्क त्वचा पर तुरंत असर दिखाता है। इसमें टायरोसिन एंजाइम होता है जो कोलेजन के निर्माण में मदद करता है।
दही - दही व छाछ में लेफिटक एसिड होता है जो मेलेनिन के जमाव के निर्माण को कम करता है।
मूली - मूली के रस को थपथपाकर हल्के हाथ से लगाने से मेलेनिन के प्रोडक्शन को कम करता है।
ऐवेकेडो - एवेकेडो का पल्प रंगत हल्की करता है।
सनफ्लॉवर आयल - इसमें लेनोलेइक एसिड होता है जो स्किन रेस्टोरेटिव, एंटीआक्सीडेंट व सूदिंग एजेंट होता है।
आयुर्वेद में रक्त व पित्त ये 2 धातु व दोष हमारी स्किन के रंग, रंगत, प्रभा, आभा (चमक, ग्लो, इश्चर) आदि के लिये जिम्मेदार हैं।
आयुर्वेद में वर्ण्य (रंग निखारने वाली) त्वच्य (त्वचा के लिये लाभप्रद) रक्त प्रसादन (ब्लड प्युरीफायर) औषधियों का प्रयोग किया जाता है।
औषधियाँ :-
केशर, हरिद्रा, दाखहद्रिा, मुस्तक, निम्ब, खदिर, श्वेतचंदन, मधुयष्टी, मंजिष्ठा, नागकेशर, पदम, पद्माक, सारिवा, उशीर, लोध्र, कूठ, दालचीनी, आमलकी, हरीतकी, शुष्टी, विदारी, वासा, देवदारू, बाकुची, अशोक वंटाकुर आदि अनेकों औषधियां हैं जो अलग अलग स्थिति में हमें अलग-अलग उत्तम प्रभाव दर्शात्ी हैं। कुछ बात प्रयोग के लिये व कुछ आभ्यान्तर प्रयोग (इन्टर्नल) के लिये प्रयुक्त होती हैं। इस प्रकार मेलेनिन को कुछ मात्रा में कम किया जा सकता है किन्तु जन्मजात (नेचुरल) रंग (कलर आॅफ स्किन) को बदला नहीं जा सकता।