मोटापा ही नहीं मधुमेह का भी इलाज हैं बेरिएट्रिक सर्जरी
मोटापा आजकल एक आम बात हो गई है और एक महामारी का रूप लेता जा रहा है। मोटापे के नुकसान गिनाते हुए डॉक्टर पीटर्स और डॉक्टर विमला राजन कहती हैं कि यदि इंसान के शरीर में औसत लंबाई के हिसाब से दस किलोग्राम भी अतिरिक्त वसा यानी फैट जमा हो, तो यह एक आम आदमी की जिन्दगी में से तीन साल कम कर देता है। हालांकि उन्होंने कहा कि संतुलित भोजन, व् य ा य ा म , जीवनशैली में थोड़ा बहुत बदलाव और वज़न घटाने के लिए की जाने वाली बेरिएट्रिक सर्जरी की मदद से एक इंसान अपने शरीर का अस्सी प्रतिशत वज़न कम कर सकता है, जो कई सालों तक बरकरार रह सकता है, जैसा कि आपको डायटिंग या फिर किसी अन्य विकल्प से नहीं हासिल हो सकता। डॉ कहते हैं कि बेरिएट्रिक सर्जरी को आजकल न केवल मेडिकल चमत्कार के रूप में देखा जा रहा है बल्कि उन तमाम लोगों के लिए एक नई आशा के रूप में भी देखा जा रहा है जो बेहद मोटेपन के कारण सामान्य जीवन नहीं जी पाते या फिर मोटापे के कारण कुंठा का शिकार होने लगते हैं। बेरिएट्रिक सर्जरी डिप्रेशन और माइग्रेन, अस्थमा और कार्डियोवेस्क्यूलर रोगों को टाइप टू डायबटीज़ तथा पोलिसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रॉम तक कम कर जीवनशैली सुधार सकती है। बेरिएट्रिक सर्जरी ग्रेहलिन हार्मोन्स को नियंत्रित करने का काम करती है,
जिसके कारण मोटे लोग अपनी खाने की ललक या इच्छा को नियंत्रित नहीं कर पाते। यह हार्मोन खाने के एक या दो घंटे पहले बढ जाता है जिसके कारण व्यक्ति ज़रूरत से ज्यादा खाता है। उन्होंने बताया कि बेरिएट्रिक सर्जरी पाचन तंत्र को नियंत्रित करती है जिससे व्यक्ति की खाने की इच्छा काफी कम हो जाती है। सर्जिकल ऑपरेशन जैसे कि सिलिकॉन बैंड लगाना या आमाशय निकाल कर एक पतली से गैस्ट्रिक ट्यूब छोड़ देने से, भोजन धीरे धीरे खाली होता है और पेट देर तक भरा हुआ महसूस होता है। इससे हार्मोन का असर भी बदल जाता है। बेरिएट्रिक सर्जरी के विशेषज्ञ होने के नाते डॉक्टर पीटर्स ने कहते हैं कि वज़न घटाना या बेरिएट्रिक सर्जरी की जा सकती है यदि किसी का बॉडी मास इन्डेक्स सामान्य से अधिक है या मोटापे का कारण उच्च रक्तचाप अथवा हृदय रोग की फैमिली हिस्ट्री या किसी भी एक या एक से अधिक कारणों से उसका बीएमआई अधिक है या फिर यदि पिछले पांच वर्षों से वज़न घटाने का कोई भी प्रयास असर न कर पा रहा हो या कोई लगातार तनाव या अवसाद की स्थिति से जूझ रहा हो तो उसे इस सर्जरी के बारे में गंभीरता से सोचना चाहिए। बैरिएट्रिक सर्जरी के बारे में विस्तार से बताते हुए उन्होंने बताया कि दरअसल मोटापा सेहत से जुड़ी एक प्रमुख समस्या बनता जा रहा है, जिससे विश्व भर के लगभग 30 करोड़ लोग प्रभावित हो रहे हैं और इसीके कारण 25 लाख लोग मौत के मुंह में जा रहे हैं। भारत में भी मोटापे की समस्या काफी गंभीर है जो अकसर उसके जीन्स, पर्यावरण से जुड़े मुद्दे तथा इस बात पर निर्भर करता है कि वह व्यक्ति कितनी बार खाता है, व्यक्तिगत स्तर पर उसकी गतिविधियां क्या हैं और उसे किस प्रकार की जीवनशैली पसंद है।डॉक्टर पीटर्स का कहते है कि मोटापा जानलेवा भी साबित हो सकता है और औसत लंबाई के हिसाब स,े हर दस किलोग्राम वज़न बढने से उसके जीवन के तीन साल कम होते चले जाते हैं। मोटापे के साथ ही उन्हें ऐसी असाधारण परेशानियां भी घेर लेती हैं जिससे जिन्दगी के प्रति उनका रवैया ही बदल जाता है। अनुसंधान से पता चलता है कि जिन लोगों का वज़न कम हो जाता है, वे अससामान्य व्यवहार, शारीरिक और भावनात्मक परिवर्तनों के ऐसे दौर से गुज़रते हैं, जो सामान्य लोगों को उतने ही साधारण लगते हैं जैसे शावर लेना, ड्राइव पर जाना, लोगों से मिलना जुलना आदि। डॉक्टर पीटर्स ने बताया कि वेटलॉस सर्जरी यानी वज़न कम करने के लिए कराई जानी वाली सर्जरियों को विज्ञान की भाषा में बैरिएट्रिक सर्जरी कहते हैं, जिनसे शरीर का अस्सी प्रतिशत अतिरिक्त वज़न कम किया जा सकता है और डायटिंग जैसे वज़न कम करने के तरीकों की तुलना में इनसे घटाया गया वज़न कई वर्षों तक बरकरार भी रखा जा सकता है। इसके साथ ही इनसे डायबटीज़, हाइपरटेंशन, स्लीप एपनिया, पीठ के निचले हिस्से में दर्द तथा बांझपन जैसी तकलीफों से भी निजात मिल सकती है। डॉक्टर विमला राजन ने बताया कि बैरिएट्रिक सर्जरी में पाचन संस्थान को नियंत्रित किया जाता है, जिससे व्यक्ति की खाने की इच्छा सीमित हो जाती है। ऑपरेशन के दौरान उसके आमाशय के चारों ओर एक सिलीकॉन बैंड लगा दिया जाता है या फिर उसका 75ः आमाशय हटा दिया जाता है और केवल पतली से गैस्ट्रिक ट्यूब छोड़ दी जाती है, जिससे खाना बाहर निकलने में अधिक समय लगता है और ऐसा अहसास होता रहता है जैसे कि पेट भरा है। इससे हार्मोनल ड्राइव‘ भी बदल जाता है।