लीवर को कैसे करें निरोग
हमारे शरीर को स्वस्थ रखने में लीवर की महत्वपूर्ण भूमिका है। 80 फीसदी कार्य लीवर पर ही आधारित रहता है। आहार का पाचन, मेटाबालिज्म, एनर्जी स्टोरेज, टॉक्सिन्स को बाहर निकालना, डिटोक्सिफिकेशन, इम्यून सिस्टम को बनाये रखना और कई प्रकार के हार्मोन्स में सहयोग आदि। हमारी बिगगड़ती हुई लाइफ स्टाइल, अनहेल्दी डाइट एल्कोहन,स्मोकिंग और स्ट्रेस लेवल का निरंतर बढ़ना, नींद व भोजन का समय पर नहीं लेना, लीवर को बीमार करने के लिए काफी है।
शुरूआत की अवस्था में लीवर को नीरोग किया जा सकता है क्योंकि लीवर सेल्स पुननिर्माण करके डेमेज को दुरुस्त करने की क्षमता रखती है। शुरू में खानपान में सुधार, लाइफ स्टाइल हेल्दी व औषध प्रयोग में सुधार किया जा सकता है किन्तु यदि लीवर घातक अवस्था तक डैमेज हो चुका हो तो लीवर ट्रांसप्लांट के अलावा कोई उपाय नहीं बचता। अत: शुरूआत में ही देखभाल की जरूरत है।
क्या करें :-
- लाइफ स्टाइल में सुधार करें।
- 2 से 4 किलोमीटर पैदल घूमें या अन्य किसी भी प्रकार का व्यायाम करें।
- फास्ट फूड, जंक फूड, पैक्ड फूड, प्रोसेस्ड फूड, प्रिजर्व फूड, फ्राइड फूड, स्पाइसी फूड से दूरी बना लें। उसके
स्थान पर ताजा, और पौष्टिक सुपाच्यभोजन लें।
- हरि पत्तेदार सब्जियों, फलों का आहार मेंशामिल करें।
- ताजाफल सब्जियों की सलाद, सूप, ज्यूस को शामिल करें।
- फलों का रस ताजा लें, ताजा छाछ (गो दुध से निर्मित) काप्रयोग ज्यादा से ज्यादा करें। गोमूत्र का प्रयोग भी लाभदायकहै।
- लहसुन, अदरक, आंवला, पत्तागोभी, गाजर, मूली, पालक,मेथी, बथुआ, चौलाइ, सरसों, ब्रोकोली आदि उपयोगी है।
- अन्य तैलों की अपेक्षा जैतून का तैल लाभदायक है।
- फैटी लीवर में टमाटर खाना लाभदायक है।
- साबुत अनाज फाइबरयुक्त होता है।
- करेले का रस, करेले की सब्जी लीवर (फैटी) के लिए लाभप्रद है। ज्यादा से ज्यादा मात्रा में लें।
- ग्रीन टी में एंटी आॅक्सीडेंट हैं जो टॉक्सिन्स को खत्म करता है।
- आंवले का प्रयोग रोजाना करें क्योंकि यह लीवर को सुरक्षित रखता है।
- हल्दी का प्रयोग आहार में व दूध के साथ करें। हिपेटाइटिस बी व सी के वायरस को बढ़ने से रोकती हैं।
- पपीते का रस में 1/2 चम्मच नींबू का रस मिलाकर पीयें। लीवर सिरोसिस में लाभदायक है।
- गाजर व पालक का मिश्रित रस लीवर सिरोसिस में लाभप्रद है।
- सेवफल लीवर को हेल्दी रखने में सहायक है।
- मुलेठी का प्रयोग भी लीवर के लिये हितकर है।
कुछ औषधियां हैं जो लीवर के लिये अत्यंत लाभप्रद हैं :-
1. त्रिफला :- हरड़, बहेडा, आंवला का चूर्ण त्रिफला कहलाता है, इसका प्रयोग चूर्ण रूप में पानी के साथ रोजाना किया जाना चाहिये। यदि गोमूत्र के साथ प्रयोग करते हैं तो और भी ज्यादा लाभ मिलता है।
2. गुडूची - इसे गिलोय भी कहते हैं। इसका चूर्ण, क्वाथ या सत्त्व या घनवटी किसी भी रूप में प्रयोग कर सकते हैं, लंबे समय तक प्रयोग में लिया जा सकता है। लीवर को सुरक्षा प्रदान करना, सेल्स को रिजनरेट करना व इम्यून सिस्टम को सुधारने का कार्य करती है। ज्वाइंडिस व पाचनसंबंधीविकारों में भी लाभ पहुंचाती है।
3. भूम्यामलकी - लीवर को सुरक्षा देना, अपच, ज्वाइंडिस व हिपेटाइटिस में लाभप्रद है। लीवर के सभी प्रकार केसंक्रमण (इन्फेक्शन) को दूर करता है।
4. कुटकी - लीवर प्रोटेविटन हर्ज है। ज्वाइंडिस, एनीमिया टॉसिंल के प्रभाव को दूर करती है। श्वास, जवर में भी लाभप्रद है। यहां तक कि स्रेक बाइट (सर्पदंश) में भी कारगर है। इसमें एंटी बैक्टीरियल व एंटी वायरल दोनों गुण हैं।
5. भृंगराज - सिंहपर्णी की तरह यह भी लीवर प्रोटेक्टिव है। स्किन डिसोर्डर, पूवर डाइजेशन, एनीमिया व लिम्फेटिक कंजेशन को दूर करता है। ना केवल लीवर बल्कि नर्वाइन टॉनिक होने से मस्तिष्क को भी शांत करता है। 6. कुमारी - इसे एलोवेरा व ग्वारपाठा को नाम से भी जानते हैं। इसका ताजा स्वरस, सब्जी, घनसत्तव, अचार, सब्जी, लड्डू आदि कई प्रकार से प्रयोग किया जा सकता है। प्रिजर्व ज्यूस का - प्रयोग नहीं करें। क्योंकि उसमें डाले जाने वाले प्रिजर्वेटिव लाभ की जगह लीवर को हानि पहुंचा सकते हैं। लीवर के इन्फेक्शन व फैट को दूर कर पाचन में सुधार करता है।
7. दारूहल्दी - लीवर को प्रोटैक्ट करती है। क्वाथ या रसाजन (घनसत्त्व) काम में लिया जाता है। इसका प्रयोग
पीलिया, ज्वर, त्वचा विकार और क्षेत्र रोगों में भी किया जाता है।
इस प्रकार ये कुछ औषधियां हैं जो लीवर के लिये लाभप्रद हैं :-
लीवर डिज़ीज से कैसे बचें :-
- शराब का प्रयोग बंद करें। यदि नियमित सेवन कर रहे हैं तो धीरे-धीरे बंद (कम करते हुये) करें।
- इंजेक्टेवल ड्रग्स (नशे की दवायें) लेते हैं तो निडिल शेयर नाकरें और नशामुक्ति केन्द्र की सहायता लेकर इसे छोड़ें।
- यौन संबंध बनाते समय कंडोम का प्रयोग करें।
- टैटू बनवाना हो तो निडिल अनयुज्ड (विशोधित या नई) होनी चाहिये। ना बनवायें तो ज्यादा बेहतर है।
- नाक व कान छिदवाना हो तो विसंक्रमित घोल से शुद्ध निडिल या यंत्र का ही प्रयोग करें।
- हिपेटाइटिस का टीका लगवायें। यदि पहले संक्रमित हुये हो तों हिपेटाइटिस ए व बी का टीका लगवाने के लिये डॉक्टर से बात करें।
- अन्य लोगों के ब्लड और शरीर के तरल पदार्थों से संपर्क से बचें।
- त्वचा की रक्षा करें। कीटनाश व अन्य टॉक्सिक केमिकल्स, पेंट, स्प्रे, एरोसिड का प्रयोग करते समय
हैंडग्लोब्स, कैप व स्कफ आदिबांध कर रकें।
- दवाओं का प्रयोग मनमर्जी से नहीं करें। एंटी बायोटिक व दर्दनाशक दवायें तभी लें जब अत्यावश्यक हों।
- किसी भी औषध का प्रयोग करने से पूर्व चिकित्सक की सलाह लें कितने समय तक लेनी है यह भी जानकारी रखें। कुछ दवायें लीवर में जाकर एकत्रित हो जाती है। अत: पूरी जानकारी के बाद ही दवायें लें।
कैसा हो आहार-विहार :-
लीवर डिजीज में आहार की भूमिका महत्वपूर्ण होती है।
- पित्तशोधक व पित्तरेचक आहार लेना चाहिये। सरसों, राई आदि पित्तवर्धक हैं। लहसुन - पित्त शोधक हैं। इसमें सल्फर होता है जो लीवर एंजाइम्स को एक्टिवेट करता है। लहसुन व प्याज दोनों साथ लेने से हिपेटोप्रोटेक्टिव होते हैं। फैटी लीवर पर अच्छा कार्य करते हैं।
- कॉफी इसको फैट बनाना भी प्रक्रिया में कमी आती है। लीवर में कोलेजन जमा होता है, इससे लीवर डैमेज से प्रोटेक्शन मिलता है।
- नट्स एंटी आॅक्सीडेंट, इसेंशियल न्युट्रीयेंट्स, हेल्दी फैट्स से भरपूर हैं। लीवर एन्जाइम्स का हेल्दी लेवल बढ़ाता है।
- ओमेगा 3 फैटी एसिड फैटी लीवर डिजीज व लीवर की सूजन को कम करता है।
- फ्रेश फूट, वेजीटेब्ल्स जैसे अंगूर, ब्लूबेरी, क्रेनबेरी, घीटरूट, क्रसूीफेरस, वेजीटेब्लस, आलिवआॅयल, टमर्रिक, ग्रीन टी ये सभी लीवर के लिये बहुत उपयोग हैं। अत: आहार में इनका प्रयोग किया जाना चाहिये।
- देर रात तक जागें नहीं और सुबह देर तक नहीं सोयें। देर रात तक जागने वालों के फैटी लीवर की समस्या जल्द ही हो जाती है और हार्मोन्स का सिस्टम बिगड़ जाता है।
- सप्ताह में 1 बार उपवास करें। भूखे नहीं रह सकें तो रसाहार, फलाहार नींबू-पानी, छाछ आदि लेकर ही रहें ताकि डाइजेटिव सिस्टम और लीवर को आराम मिलें।
- आलसी दिनचर्या की जगह कुछ देर हल्का फुल्का व्यायाम, घूमना, दौड़ना, जॉगिंग, हिंले डुलेंद्व ब्लड सर्कुलेशन तेज हों और शरीर में जमा टॉक्सिन्स बाहर निकलें।