एस्ट्रोजन और ऑस्टियोपोरोसिस में हैं गहरा संबंध
ओस्टियोपोरोसिस एक ऐसी खामोश बीमारी है जो कि धीरे-धीरे शरीर की हड्डियों को कमजोर करने लगती है। इसमें हड्डियों का मास घटने लगता है और हड्डियों में मौजूद छोटे-छोटे उत्तक फटने लगते हैं। इस प्रकार हड्डियों में फ्रैक्चर होने का खतरा लगातार बना रहता है। वैसे अधिकतर ये उम्रदराज महिलाओं में पाया जाता है। हालांकि बहुत ही कम लोगों को पता होगा कि ओस्टियोपोरोसिस की शुरुआत जीवन में बहुत पहले ही हो जाती है लेकिन परिणाम देर से दिखते हैं। इसीलिए यह सुझाया जाता है कि हमें शुरुआत से ही अपने आहार का ध्यान रखते हुए
कैल्शियम व विटामिन डी का सेवन अधिक करना चाहिए। वैसे बहुत सी महिलाओं को यह नहीं पता है कि ओस्टियोपोरोसिस और मेनोपोज का एक गहरा संबंध होता है। तकरीबन 25-27 वर्ष की उम्र तक सभी हड्डियों का विकास हो जाता है। इस समय हड्डियां सबसे अधिक मजबूत व दृढ़ होती हैं। महिलाओं में हड्डियों के इस स्तर को बरकरार रखने के लिए एस्ट्रोजन नामक हार्मोन का बहुत बड़ा योगदान होता है। ऐस्ट्रोजन एक ऐसा हार्मोन होता है जिनका निर्माण ओवरियों के द्वारा किया जाता है जो कि हड्डियों के क्षरण को रोकने में मददगार होता है।
लेकिन मेनोपोज होने के बाद एस्ट्रोजन के स्तर में कमी आ जाती है और ओस्टियोपोरोसिस होने का खतरा बढ़ जाता है।
लक्षण:- प्राय इसकी शुरुआत हल्के दर्द से होती है। खासकर कमर और गर्दन की हड्डियों, मांसपेशियों में दर्द होता है। बाद में अचानक से दर्द शुरु होने लगता है। प्रभावित भागों में दबाव पड़ते ही दर्द शुरु हो जाता है। यह दर्द हतों से लेकर महीनों तक रह सकता है। कहीं भी गिरने या हल्की सी चोट लगने से भी फ्रेक्चर हो जाता है। कभी-कभी शरीर का पोश्चर भी खराब हो जाता है। अगर आप को मेनापोज हो चुका है और आप को अक्सर अपनी हड्डियों और मांसपेशियों में दर्द महसूस होता है जो कि बर्दाश्त् से बाहर हो जाता है या आप को उठने बैठने में भी तकलीफ होती है तो आप को तुरंत डाक्टर से संपर्क करना चाहिए। ऐसे में, मेनोपोज के बाद हडिुयों को टूट-फूट से रोकने के लिए निम्रलिखित उपायों को करना चाहिए: -
व्यायाम:- व्यायाम करने से हड्डियों व मांसपेशियों को मजबूती मिलती है। हालांकि बहुत सी पतली महिलाएं सोचती हैं कि व्यायाम की उन्हें व्यायाम की क्या आवश्यकता है? किंतु व्यायाम सबके लिए जरू री होता है। सप्ताह में दो-चार बार वजन उठाने वाले व्यायामों को करने से भी ओस्टियोपोरोसिस को रोका जा सकता है। पैदल चलना, जागिंग करना, डांस करने से भी महिलाएं खुद को ओस्टियोपोरोसिस के खतरे को कम कर सकती हैं।
कैल्शियम युक्त भोजन का सेवन:- समस्त जीवन में कैल्शियम युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन करने से भी हड्डियां मजबूत बनती हैं। व्यस्क लोगों को दूध, मछली, हरी सब्जियों, दही आदि का सेवन करना चाहिए।
सप्लीमेंट :-यदि आप को लगता है कि आप को आहार में उतना कैल्शियम नहीं मिल पा रहा है जितना आप के शरीर में होना चाहिए, तो आप डाक्टर से मिलकर अपने लिए कैल्शियम सप्लीमेंट भी ले सकते हैं। लेकिन ध्यान रहे कि रोजाना 2000 एम जी से अधिक कैल्शियम का सेवन न करें क्यों कि इससे आप के गुर्दों पर इसका विपरीत असर हो सकता है।
विटामिन डी दरअसल, शरीर में कैल्शियम को खपाने के लिए विटामिन डी की आवश्यकता होती है। रोजाना धूप में बीस मिनट रहने से शरीर को आवश्यकता के अनुसार विटामिन डी मिल जाता है। साल्मोन जैसी मछली, अण्डे व कुछ प्रकार के अनाजों से भी विटामिन डी प्राप्त किया जा सकता है। 51 - 70 वर्ष के लोगों को रोजाना 400-800 आई यू तक विटामिन डी का सेवन करने की सलाह दी जाती है लेकिन 2000 आई यू अधिक विटामिन डी गुर्दों के लिए खतरनाक भी हो सकता है।
दवाइया:- आज के मार्केट में कुछ ऐसी दवाइयां हैं जो कि ओस्टियोपोरोसिस का उपचार करने में इस्तेमाल की जाती हैं।
एस्ट्रोजन:- ऐस्ट्रोजन एक ऐसा हार्मोन होता है जिनका निर्माण ओवरियों के द्वारा किया जाता है जो कि हड्डियों के क्षरण को रोकने में मददगार होता है। इसे ओस्टियोपोरोसिस के उपचार में भी इस्तेमाल किया जाता है। मेनोपोज के बाद शरीर में ऐस्ट्रोजन बनना बंद हो जाता है और हड्डियों के क्षरण का खतरा बढ़ जाता है। ऐसे में, हार्मोनल थैरेपी की मदद से शरीर में एस्ट्रोजन को रिप्लेस किया जाता है। किंतु इस प्रकिया में कुछ खतरे भी जुड़े होते हैं।
कुछ दवाइयों का सेवन करने से बचना चाहिए:-
स्टेरोइड व रक्त को पतला करने वाली दवाइयों का सेवन करने से बचना चाहिए। यदि इन दवाइयों का सेवन करना भी पड़े तो डाक्टरी सलाह लेनी चाहिए और निर्धारित खुराक से अधिक नहीं लेना चाहिए।